namaste india
सत्य बोलने और उसके मार्ग पर चलने के लिए इसलिए कहा जाता है क्योंकि सत्य एक है जैसे एक सीढ़ी जिसपर सिर्फ खड़े रहो वही सीढ़ी वह बिंदु हो गई जो परम शांति प्रदाता है ,व्यवहार में भी शांति और मन में भी अथवा यह कामना ही नहीं रहती की कुछ चाहिए | असत्य में अनेकों सीढियाँ हैं ..जब सत्य से शुरू करेंगे तब हमें वह सत्य यह भी बता देगा की असत्य भी सत्य ही है |सत्य की शांति के अनुभव के पश्चात् आप असत्य की ग्लानी से जलेंगे नहीं बल्कि असत्य से भी ,में भी आप सत्य की तरह शांत बने रहेंगे |इसलिए जो भिन्नता हमें दिखती है वह व्यवहार है ,असत्य है यह सभी कहते हैं किन्तु यदि सत्य का निरंतर सेवन ,सृजन और उसी में रमण किया जाए तो यह असत्य रुपी जगत और माया रुपी व्यवहार भी सत्य रूप में आपके आधीन हो समय को आपकी मुट्ठी में कर देते हैं और तभी प्रेम ,पवित्रता और निर्मलता के लक्षण आपके मन से शरीर में दिखाई देते हैं यही दिव्यता है यही मंगलमय जीवन है
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