Sunday, March 17, 2013


नमस्ते भारतवर्ष
ये उम्मीद का सूरज है,
जगती आशाओं का सूरज है,
बहुत सो लिए हम-तुम यारों,
अब जागने का सवेरा है,
अपनी सुरक्षा आप करनी है ,
किसी मुह न अब ताकना है ,
खुद की हिम्मत आप बनकर
डटकर मुकाबला करना है
अपने हक की इस लड़ाई में ,
खुद ही जीना ,खुद ही मरना है
डॉ स्वीट एंजिल
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