नमस्ते भारतवर्ष ये उम्मीद का सूरज है, जगती आशाओं का सूरज है, बहुत सो लिए हम-तुम यारों, अब जागने का सवेरा है, अपनी सुरक्षा आप करनी है ,किसी मुह न अब ताकना है ,खुद की हिम्मत आप बनकर डटकर मुकाबला करना है अपने हक की इस लड़ाई में ,खुद ही जीना ,खुद ही मरना है डॉ स्वीट एंजिल
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