Saturday, March 16, 2013





बस कुछ पल मेरे लिए भी


सम्मान का मोह भी है


अपमान का भय भी


प्रसिद्धि की चाह भी है


घर की ज़िम्मेदारी भी



प्रसिद्धि को चाहिए


समय और थोडा पैसा भी


कुछ दोस्त भी


और कम्पुटर भी


कुछ समय


जो घर गृहस्थी  से चुरा लूँ


या


उधर ही मांग लूँ


उनसे


जो मेरे अपने हैं


आँखों के सपने हैं


पल दो पल अपने लिए


जो इस चार-दिवारी के भीतर ही


मुझे मुझ से मिला दें


मेरे होने का एहसास करा दें
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