Thursday, March 7, 2013

Dr.Shalini Agam

प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है …….
प्रसन्नता ही हमारी संजीवनी है ………
मेरी एक अन्तरंग सहेली जो अत्यंत दुखी ,निराश, अनिंद्रा और अपच का शिकार थी उसने निश्चय किया की वह अब मेरी तरह ही हँसेगी,हर हाल में खुश रहेगी . दिन में हर -पल बस वही बातें सोचेगी जिससे हसीं आये.
भले ही उसके पास हँसने का कोई उपयुक्त कारण हो न हो .
अपने आस-पास का माहौल खुशनुमा बनाये रखेगी. उसने मुझसे पूछा ,”डॉ.शालिनी अगर मैं मन से दुखी हूँ ,तो कोशिश करने प़र भी मुझे हंसी नहीं आती ,मैं क्या करूँ ..” तब मैंने उसे निम्न बातें समझायीं ………..और परिणाम -स्वरुप वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी ,उसके परिवारजन उसमे आये बदलाव के कारण आश्चर्य में पड़ गए. पहले-पहल तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया पर धीरे -धीरे घर का माहौल बदलने लगा और सभी दिल खोलकर हँसने लगे ………….. हर – पल दुखी दिखने वाला परिवार आज सबसे ज्यादा खुश दिखाई देता है .
अब आप पूछोगे की मैंने उसको क्या बताया……..??

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